भारतीय मान्यता के अनुसार रामायण केवल एक कथा भर नहीं है बल्कि एक जीवन शैली है, एक समृद्ध परमपरा है जिसमें रवानगी है। जो हर काल और समय के साथ अपना स्वरुप गढ़ता रहता है. शरीर बदलते रहते हैं और आत्मा अजर अमर के विश्वास के साथ कायम रहती है. ओम रावत के निर्देशन में बनी प्रभाष और कृति शेनन स्टारर फिल्म ‘आदिपुरुष’ मूल निचोड़ यही है जिसे तकनीकी विकास के साथ इस तरह पेश किया गया है कि आप इसे टैक्नीकल रामायण भी कह सकते हैं.
कहानी शुरू होती है राम सिया राम गाने से. इस गाने में ही चित्रों के माध्यम से विष्णु के राम जन्म से लेकर सीता का स्वयंवर और राम के वनवास की कहानी बयां की गई है. गाना खत्म होते ही नजर आता है रावण, जो बर्फीले चट्टानों के बीच तपस्या कर रहा है. मांगने पर भी अमरता का वरदान न देने वाले ब्रह्मा रावण से प्रसन्न होकर उसे ये वरदान दे देते हैं कि देव या दानव के हाथों तुम्हारी मृत्यु नहीं होगी. भगवान ब्रह्मा की चतुराई से अनजान रावण वरदान मिलते ही उन्मत दैत्य में परिवर्तित हो जाता है.इसके बाद शूर्पणखा प्रसंग ,शूर्पणखा का रोते हुए रावण के पास जाना ,रावण की प्रतिज्ञा ,सीता हरण, हनुमान का लंका दहन ,राम रावण युद्ध जैसे चित परिचित प्रसंगों का नवीन प्रस्तुतीकरण सब जाना पहचाना ही है। सिर्फ चेहरे ,परिवेश और तकनीक नई नई है.
जाहिर है परदे पर आपने इन प्रसंगों को कई बार-बार देखा होगा। इसके बावजूद इस रामायण का इतना क्रेज क्यों है ? दर्शकों ने इस बारे में अपने विचार ट्विटर पर साझा किये हैं. एक यूजर ने लिखा, “ आदिपुरुष शानदार फिल्म है, एक ग्रेट बीजीएम के साथ फुल एंड फुल रोंगटे खड़े करने वाले सीन्स. प्रभास की एक्टिंग शानदार. अन्य कास्टिंग भी अच्छी की गई है. गाने बिग प्लस हैं. वीएफएक्स अच्छा नहीं है, इस फिल्म को एक बेहतर वीएफएक्स की जरूरत है.कुल मिलाकर एक ब्लॉकबस्टर फिल्म.”एक अन्य यूजर ने लिखा, “ आदिपुरुष अच्छी फिल्म है.3डी इफेक्ट्स बहुत बढ़िया हैं. प्रभास और कृति सेनन ने बहुत अच्छा काम किया है. गाने बहुत अच्छे हैं. क्लाइमेक्स सीन के दौरान वीएफएक्स खराब है. बड़े पर्दे पर फिल्म जरूर देखें.”
एक और यूजर ने लिखा, “आदिपुरुष कुल मिलाकर रामायणम का पुनर्कथन है जिसमें पहला भाग आशाजनक था लेकिन दूसरे भाग में सपाट हो जाता है और अंत में थकाऊ हो जाता है! पहला भाग नाटक पर फोकस्ड था जिसने काम किया, लेकिन दूसरे पार्ट में खराब वीएफएक्स के साथ लंबे समय तक क्लाइमेक्ट फाइट के अलावा कुछ नहीं था. म्यूजिक फिल्म को कई हिस्सों में सेव करता है.”
एक और यूजर ने ट्वीट में लिखा, “कुछ फिल्मों को जज नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन सिर्फ सराहना की जानी चाहिए.आदिपुरुष इस आधुनिक दुनिया के लिए वह फिल्म है, घसीटे गए सेकंड हाफ के अलावा, फिल्म में फैंस के लिए काफी रोंगटे खड़े करने वाले पल हैं निगेटिल वीएफएक्स अभी भी आधा पका हुआ है पॉजिटिव: स्क्रीनप्ले, म्यूजिक.”
कोई समीक्षक अगर किसी फिल्म की समीक्षा करता है वो केवल एक आदमी की सोच भर होती है जो किसी कमरे में बैठ कर बिना फिल्म देखे फिल्म को अच्छा या बुरा कह सकता है. यहाँ लोगों की राय को इसलिए शामिल किया गया ताकि आपको फिल्म के तथ्य समझने में आसानी हो सके।