गोवा में चल रहे भारत के 48वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी 2017) के दौरान नाना की मराठी फिल्म नट सम्राट का प्रदर्शन पिक्चर टाइम डिजिप्लेक्स द्वारा आयोजित मोबाइल थिअटर में किया गया. मोबाइल थिअटर के तीन स्क्रीन इफ्फी के बाइअस्कोप विलेज में लगाए गए हैं. इस अवसर पर नाना ने अपने समय में बाइअस्कोप के जरिए फिल्म देखने-दिखाने के दिलचस्प अनुभवों को शेयर किया. नाना ने इस बातचीत के दौरान यह भी कहा कि उन्हें वह फिल्में बिल्कुल भी नहीं पसंद हैं जिन फिल्मों को देश-दुनिया में खूब अवॉर्ड मिलते हैं.
बॉलिवुड अभिनेता और समाजसेवी नाना पाटेकर अपनी बेबाक राय और तेज-तर्रार अंदाज में बयान-बाजी के लिए काफी मशहूर हैं. नाना कहते हैं, ‘मेरी फिल्म परिंदा, अग्निसाक्षी और क्रांतिवीर आर्ट फिल्म नहीं थी, लेकिन इन तीनों फिल्मों को नैशनल अवॉर्ड मिला था. फिल्मों को कमर्शल और आर्ट जैसे शब्दों में नहीं बांधना चाहिए. एक सच बात कहूं तो मुझे आप लोग माफ कर देना, मुझे वह फिल्में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती, जरा भी पसंद नहीं आती जिनको देश-दुनिया में तमाम अवॉर्ड मिलते हैं, लेकिन उन फिल्मों को कोई देखने नहीं जाता.
मुझे वैसी फिल्मों से नफरत है. मुझे लगता है फिल्में ऐसी बननी चाहिए जो एक सामान्य पढ़े-लिखे व्यक्ति को भी समझ में आनी चाहिए और एक बहुत-पढ़े लिखे व्यक्ति को भी समझ आए, कहने का मतलब ऐसी फिल्में बनाई जाएं जो हर वर्ग के लोग बहुत ही आसानी से समझ सकें.’