जब सुनील दत्त को बंगला बेचकर अमिताभ बच्चन को देना पड़ा फिल्मों में ब्रेक

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साल 1967 में टाइम्स ग्रुप की मैगजीन ‘माधुरी’ ने एक देशव्यापी टैलेंट हंट का आयोजन किया था, जिसके लिए कोलकाता में रह रहे अमिताभ बच्चन ने भी अपनी तस्वीरें भेजी थी, लेकिन उन्हें रिजेक्ट कर दिया. ये रिजेक्शन बच्चन फैमिली को इतनी बुरी लगी कि बिग बी की मां तेजी बच्चन इसकी शिकायत लेकर अपनी दोस्त इंदिरा गांधी तक पहुंच गई जो उस समय देश की प्रधानमंत्री थी. इंदिरा गांधी ने इस मामले में सीधे हस्तक्षेप करना उचित नहीं समझा और उन्होंने अभिनेत्री नर्गिस को फोन कर मामले को देखने को कहा. लेकिन नर्गिस भी इस मामले में क्या कर सकती थी. उन्होंने इंदिरा गांधी से कहा कि अगर तेजी जी का बेटा फिल्मों में काम करना चाहता है तो उन्हें मुंबई भेज दें वो उनकी मदद करेंगे. इस तरह अमिताभ बच्चन कोलकाता से मुंबई आ गए.

मुंबई में अमिताभ बच्चन को काम दिलवाने की जिम्मेदारी दत्त परिवार की थी. इसलिए नर्गिस और सुनील दत्त अमिताभ बच्चन का फोटो लेकर निर्माता-निर्देशकों के दफ्तरों के चक्कर लगाने लगे. नर्गिस ने बी.आर.चोपड़ा और राजश्री के मालिक ताराचंद बडजात्या ने अमिताभ बच्चन की सिफारिश की लेकिन दोनों ने ही उन्हें रिजेक्ट कर दिया. अमिताभ बच्चन से ज्यादा नर्गिस मायूस हो रही थी. एक तो देश के पीएम का प्रेशर और दूसरा उनकी अपनी निजी साख भी दांव पर लगी हुई थी. जब कोई अमिताभ बच्चन को काम देने को तैयार नहीं हुआ तो दत्त परिवार ने खुद ‘रेशमा और शेरा’ नाम से फिल्म बनाने का ऐलान कर उसमें अमिताभ बच्चन को गूंगे का रोल दे दिया. इसी बीच उन्हें इंदिरा गांधी की ही सिफारिश पर बच्चन को फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ में एक छोटा-सा रोल मिल गया. ये फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ से पहले रिलीज हो गई इसलिए इसे अमिताभ बच्चन की पहली फिल्म माना गया.

खैर.. सुनील दत्त ने फिल्म अमिताभ के लिए बनाई थी. इस फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर बुरा हश्र हुआ और दत्त साहब के लिए अपना बंगला बेचने की नौबत आ गई. जिस नर्गिस और सुनील दत्त ने अमिताभ बच्चन के लिए इतने पापड बेले… क्या बच्चन साहब के मुंह से कभी इनके बारे में कुछ सूना है ? यही है बॉलीवुड के महानयाक का असली चेहरा.

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