80 के दशक में एक बहुत ही खूबसूरत अभिनेत्री ने फिल्म ‘उलझन’ के जरिये हिंदी सिनेमा में दस्तक दी. ये अभिनेत्री जितनी खूबसूरत थी उतना ही सुंदर गाती भी थी. जाहिर है ये हिंदी सिनेमा के लिए एक पंथ दो काज जैसी स्थिति थी. इसलिए सिनेमा ने इस अभिनेत्री को हाथोंहाथ लिया और जल्द ही ये अभिनेत्री हिंदी सिनेमा की लीड एक्ट्रेस की कतार में शुमार हो गई. ये अभिनेत्री थी सुलक्षणा पंडित.
सुलक्षणा पंडित का कोई एक्टिंग बैकग्राउंड तो नहीं था, लेकिन गायन में उनका घराना काफी मशहूर था. सुलक्षणा मशहूर वोकेलिस्ट पंडित जसराज के घराने से थी और उनके भाई जतिन ललित भी संगीत के क्षेत्र में सक्रीय थे. दरअसल सुलक्षणा सिंगर बनने ही हिसार से मुंबई आई थी, लेकिन उनकी ख़ूबसूरती ने उन्हें हीरोइन बना दिया. जल्द ही सुलक्षणा का करियर उंचाई पर पहुंच गया.
सुलक्षणा की बदनसीबी की शुरुआत तब हुई जब वो अभिनेता संजीव कुमार के संपर्क में आई. सुलक्षणा संजीव कुमार से मन ही मन प्यार करती थी, लेकिन संजीव कुमार तो हेमा मालिनी के इनकार के बाद जैसे बावले ही हो गए. हेमा की यादों में संजीव कुमार जमकर शराब पीते और सुलक्षणा पंडित के साथ हेमा मालिनी की बेवफाई का गम शेयर करते. सहानुभति के लिए ही सही सुलक्षणा पंडित ने उन दिनों संजीव कुमार को काफी संभाला, लेकिन वो अपना दिल नहीं संभाल पाई और संजीव कुमार से प्यार कर बैठी. लेकिन सुलक्षणा का ये प्यार एक तरफ़ा ही था क्योंकि संजीव कुमार का गम इतना गहरा था कि उसे तो बस शराब का ही मरहम चाहिए था. सुलक्षणा पंडित में उन्हें कोई रूचि नहीं थी.
आखिरकार शराबनोशी ने संजीव कुमार की जान ले ही ली और वो हेमा मालिनी से मिले जख्मों के साथ ही दुनिया से विदा हो गए. संजीव कुमार की मौत सुलक्षणा पंडित पर पहाड़ बन कर टूटी. सुलक्षणा ने धीरे-धीरे पूरी दुनिया से खुद को काट लिया और खुद को अपनी ही चारदीवारी में कैद कर लिया. अपने ही घर में सुलक्षणा ने सबसे बातचीत बंद कर दी. वो दिन रात अपने कमरे में पड़ी रहती. काफी दिनों तक सुलक्षणा की कोई खबर बाहर नहीं आई. एक दिन अचानक जब अभिनेता जितेंद्र ने उनकी खोजखबर लेनी शुरू की.., तो पता चला सुलक्षणा जुहू के एक जर्जर घर में अकेली रहती हैं. उनकी सलाह पर बहन विजेयता पंडित ने जब उन्हें डॉक्टरों को दिखाया तो डॉक्टरों का कहना था कि सुलक्षणा अपने गम से ताउम्र बाहर नहीं निकल सकती. डॉक्टरों की सलाह पर विजेयता उन्हें अपने घर ले आई और आज भी वही उनकी देखभाल करती हैं. विजेयता पंडित के मुताबिक़ सुलक्षणा आज भी सूनी-सूनी आंखों से ऐसे देखती हैं जैसे किसी का इंतज़ार कर रही हों. ये इंतज़ार तो संजीव कुमार का ही हो सकता है, जिनके गम ने इस खूबसूरत सिंगर/अभिनेत्री की ज़िंदगी को वीरान बना रखा है. शायद सुलक्षणा को उम्मीद हो कि हरिभाई उन्हें लेने एक दिन जरूर आएंगे.