जीतेंद्र का असली नाम रवि कपूर है .उनके पिता ज्वेलरी के व्यवसाय के अलावा फिल्मों में उपयोग की जाने वाली नकली जेवरों की सप्लाई भी किया करते थे… इसी सिलसिले में जीतेन्द्र विभिन्न स्टूडियोज़ के चक्कर लगाया करते थे… यहीं से उन्हें फिल्मों में काम करने का चस्का लगा.. एक दिन वे फिल्मालय पहुंचे, जहाँ वी. शांताराम की फिल्म ‘नवरंग’ की शूटिंग चल रही थी.. शांताराम की नज़र जब जीतेन्द्र पर पड़ी, तो उन्होंने जीतेन्द्र से उनकी पढ़ाई के बारे में पूछ-ताछ की… बातचीत के दौरान जीतेन्द्र ने शांताराम से फिल्मों में काम करने की अपनी इच्छा ज़ाहिर कर दी. शांताराम जीतेन्द्र के पिता के मित्र थे, इसलिए ना कहकर उन्हें नाराज़ नहीं करना चाहते थे ..उनकी इच्छा को देखते हुए शांताराम ने उन्हें नवरंग में हीरोइन संध्या के साथ एक छोटी सी भूमिका दे दी .इस फिल्म की शूटिंग के दौरान जीतेंद्र को अभिनेता उल्हास के सामने एक डायलॉग बोलना था .. डायलॉग था -“सरदार !सरदार !दुश्मन टिड्डियों के दल की तरह बढ़ता ही आ रहा है ..”जीतेंद्र जब कैमरे के सामने आये तो बुरी तरह नर्वस हो गए और हकलाने लगे ..अभिनेता उल्हास और वी शांताराम की हौसला -आफजाई पर उन्होने डायलॉग तो बोला मगर टिड्डियों को कभी किड्डीयाँ तो कभी फिड्डीयाँ ही कहते रहे ..बार बार रीटेक होते देख जीतेंद्र और भी नर्वस हो गए ..इधर वी शांताराम को कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या करें ..उन्होने बहूत कोशिश की मगर जीतेंद्र गलत ही बोलते रहे ..शांताराम ने डांटा तो वे रोने लगे . शांताराम समझ गए कि इसे समझाना बेकार है ..इसलिए 25 रीटेक के बाद भी जब जीतेंद्र ने टिड्डियों को फिद्दियों कहा तो शांताराम ने इस गलत शब्द को ही ओ के कर दिया ..
जीतेंद्र भले ही एक्टिंग नहीं कर पाए लेकिन उन्होंने वी शांताराम का पीछा नहीं छोड़ा .उन दिनों शांताराम फिल्म ‘गीत गाया पत्थरों ने ‘ के निर्माण की प्लानिंग कर रहे थे .इस फिल्म के लिए उन्हें किसी नए चहरे की तलाश थी .उन्होंने जीतेंद्र को एक और मौक़ा देने का मन बनाया और उन्हें स्क्रीन टेस्ट के लिए बुलावा भेजा .ज़ाहिर है जीतेंद्र चिंता में थे, उन्हें लगा कि वो किसकी मदद लें जिससे वो इस टेस्ट में पास हो जाएं.उन्हें याद आए दोस्त दोस्त राजेश खन्ना.जीतेंद्र राजेश खन्ना के पास गए . खन्ना फिल्मों में आने से पहले थियेटर किया करते थे .इसलिए उन्हें एक्टिंग की अच्छी समझ थी. उन्होंने जीतेंद्र को अच्छी तैयारी करवाई .कई रिहर्सल के बाद उन्होंने जीतेंद्र को पूरी तरह तैयार कर स्क्रीन टेस्ट के लिए भेज दिया .जीतेंद्र इस स्क्रीन टेस्ट में पास हो गए और शांताराम ने उन्हें मौक़ा दे दिया .इस तरह जीतेंद्र की शुरुआत हो गई. गीत गाया पत्थरों ने जबरदस्त हिट रही और इसके साथ ही जीतेंद्र भी स्टार बन गए .
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