साल 1973-74 के बीच बॉक्स ऑफिस पर राजेश खन्ना की स्थिति डांवाडोल साबित हो रही थी. अमिताभ बच्चन के आकस्मिक उभार से खन्ना के सुपरस्टार होने का ताज खतरे में दिखाई देने लगा था. ऐसे बुरे दौर में भी कुछ लोग खन्ना का साथ छोड़ने को तैयार नहीं थे. निर्माता-निर्देशक जे.ओमप्रकाश उन्हीं में से एक थे जो खन्ना के साथ कई हिट फ़िल्में बना चुके थे.
साल 1974 में जब जे.ओमप्रकाश ने एक मलयालम फिल्म का रीमेक हिंदी में बनाने का प्लान किया था तो उन्होंने इस फिल्म के लिए राजेश खन्ना को अप्रोच किया. खन्ना जानते थे कि बॉक्स ऑफिस पर उनकी हालत इस समय ख़राब है और उनकी फ़िल्में काफी बुरे दौर से गुजर रही हैं. अगर ये फिल्म भी फ्लॉप हो जाती है तो जे.ओमप्रकाश का ट्रैक रिकॉर्ड भी ख़राब हो सकता है. इसलिए उन्होंने जे.ओमप्रकाश को सलाह दी कि वो इस फिल्म में उन्हें लेने के बजाय बेहतर है कि अपने दामाद राकेश रोशन को ले लें, जो उन दिनों बॉक्स ऑफिस के उभरते अभिनेता थे. बता दें कि जे.ओमप्रकाश ऋतिक रोशन के नाना थे.
जे.ओमप्रकाश ने जब खन्ना की बात सूनी तो ये बात उनके दिल को छू गई. एक ऐसा शख्स जो अपने बजाय उनकी परवाह कर रहा है. इस बात ने जे.ओमप्रकाश को काफी प्रभावित किया. उन्होंने खन्ना से कहा,-“अब भले ही ये फिल्म फ्लॉप हो जाए लेकिन वो काम केवल राजेश खन्ना के साथ ही करेंगे. ये फिल्म थी ‘आपकी कसम’. साल 1974 में ‘आपकी कसम’ रिलीज हुई. इस फिल्म का टाईटल सॉन्ग और गाने ‘जय-जय शिवशंकर’ और ‘जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मुकाम’ ने तहलका मचा दिया और फिल्म बंपर हिट साबित हुई. इस फिल्म की कामयाबी ने खन्ना के फिसलते करियर के लिए कुछ दिनों के लिए ही सही मजबूती से थाम लिया.