ऐतिहासिक फिल्मों की कड़ी में ‘तानाजी – द अनसंग वॉरियर’ मराठा योद्धा और छत्रपति शिवाजी महाराज के ख़ास सिपहसलार ताना जी मालसुरे की कहानी है. पुरन्दर संधि के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज को संधि में 23 किले औरंगजेब को देने पड़ते हैं. उसी में से एक कोंडाणा का भी एक किला है. कोंडाणा मराठा आन का प्रतीक भी है. यही वजह है कि शिवाजी की मां जीजाबाई मराठा साम्राज्य कोंडाणा को एक बार फिर पा लेने तक नंगे पैर रहने की कसम खाती हैं.
कोंडाणा पर मुगलिया हुकूमत को मजबूत करने के लिए औरंगजेब अपने खूंखार और जांबाज सिपाही उदयभान को भेजता है साथ ही एक ऐसा तोप, जो बड़े से बड़े किले को विध्वंस कर दे. अपने आदमी साहस और वीरता से ताना जी इस किले को तो हासिल कर लेते हैं लेकिन उदयभान के साथ लड़ाई में वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं.आइये देखते इस फिल्म का रिव्यू