दोस्तों ! ऐसे बने स्टार सीरिज में हम आज बात करते हैं अभिनेता अजय देवगन की .अजय देवगन इस मामले में लकी रहे की उन्हें फिल्मों में काम पाने के लिए ज्यादा संघर्ष नहीं करना .लेकिन हीरो बन कर परदे पर आने के लिए उन्हें अभिनेता अक्षय कुमार का शुक्रगुजार होना चाहिए .आइये जानते हैं क्यों ?
हीरो बनने से पहले अजय शेखर कपूर को फिल्म ‘दुश्मनी’ में असिस्ट कर रहे थे. एक शाम वे घर लौटे तो डायरेक्टर संदेश/कूकू कोहली उनके पिता वीरू देवगन के साथ बैठे थे. वीरू ने कहा कि संदेश ‘फूल और कांटे’ नाम से एक फिल्म बना रहे हैं और तुम्हे इसमें लेना चाहते हैं. इस पर अजय की पहली प्रतिक्रिया थी, ”आप पागल हो क्या? अभी मैं सिर्फ 18 साल का हूं और अपनी लाइफ एंजॉय कर रहा हूं.” अजय ने बिलकुल मना कर दिया और चले गए. अजय के इनकार के बाद इस फिल्म में अक्षय कुमार को साइन कर लिया गया .जल्द ही अजय को अपनी गलती का एहसास हो गया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी .
निर्माता दिनेश पटेल ने 1991 में जब अक्षय कुमार को फिल्म ‘फूल और कांटे’ ऑफर की तो उनका ख्याल था कि वो लम्बे आरसे से संघर्ष कर रहे अक्षय पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे हैं. इसलिए उन्होंने इस फिल्म के लिए मेहनताने के तौर पर जो रकम उन्हें देनी चाही वो उससे भी कम थी जो अक्षय ने पटेल से मिलवाने के बदले दलाल को दिए थे. शुरुआत में अक्षय ने हामी भर दी और म्यूजिक डाइरेक्टर नदीम-श्रवण के साथ बैठकर म्यूजिक सेशन में भी हिस्सा लिया। शूटिंग की पूरी तैयारी होने से ठीक एक दिन पहले अक्षय को सौगंध और खिलाड़ी जैसी दो बड़ी फिल्मों के ऑफर मिले। अक्षय ने इन फिल्मों के कॉन्ट्रेक्ट साइन कर लिया और फूल और कांटे छोड़ने का ऐलान कर दिया। अक्षय का ये निर्णय निर्देशक कुकू कोहली के लिए किसी सदमे से कम नहीं था. सुबह फिल्म फ्लोर पर जाने वाली हो और एक दिन पहले हीरो बैकआउट कर जाए तो जाहिर है फिल्म के मुश्किलें तो खड़ी होंगी ही।
आनन फानन में अजय देवगन को बुलाया गया जो कुकू कोहली से अक्सर काम मांगने जाया करते थे. अजय देवगन स्क्रीन टेस्ट में सफल रहे और उन्हें इस फिल्म का हीरो बना दिया गया। इस फिल्म की कामयाबी ने अजय देवगन को बड़ा स्टार बना दिया। इसके लिए अजय देवगन को अक्षय कुमार का शुक्रगुजार होना चाहिए।