धर्मेन्द्र पाजी ढाई किलो का मुक्का ही नहीं रखते बल्कि वजह-बेवजह उसका इस्तेमाल भी कर देते हैं.धर्मेन्द्र के इस मुक्के से उनके कई को-स्टार बखूबी वाकिफ हैं क्योंकि उन्होंने कई बार उनपर इसका इस्तेमाल भी किया है.सुभाष घई से लेकर संजय खान तक पाजी के इस मुक्के का स्वाद चख चुके हैं. फिल्म ‘नाकाबंदी’ के दौरान अभिनेता सदाशिव अमरापुरकर पाजी के इस मुक्के का शिकार हो गए .आइये जानते हैं की पाजी ने क्यों सदशिव को बेवजह मुक्का मार दिया ..
1990 में धर्मेन्द्र और सदाशिव निर्देशक शिबू मित्रा की फिल्म ‘नाकाबंदी’ में काम कर रहे थे. एक दिन फिल्म की शूटिंग चल रही थी. सीन के मुताबिक़ सदाशिव अपने विलेनिश अंदाज़ में dialogues झाड़े जा रहे थे .धर्मेन्द्र पीछे बैठ कर चुपचाप सीन को देख रहे थे. अचानक पाजी उठे और सीधे सदाशिव के सामने आ कर खड़े हो गए .इससे पहले की सदाशिव कुछ समझ पाते धर्मेन्द्र ने एक जोरदार मुक्का सदाशिव अमरापुरकर के चेहरे पर जड़ दिया .पूरी यूनिट वहां जमा थी .लोगों ने समझा ये सीन का हिस्सा है और पाजी ने जबरदस्त तरीके से शॉट दिया है .लोग खुश होकर तालियाँ पीटने लगे .चोट से बिलबिलाये सदाशिव धर्मेन्द्र को घूरे जा रहे थे. निर्देशक शिबू मित्रा को पता था की इस शॉट में पाजी का तो कोई सीन ही नहीं है. वो दौड़े-दौड़े धर्मेन्द्र के पास आये और उनसे पूछा-आपने ये क्या कर दिया. धर्मेन्द्र जैसे नींद से जागे
.सदाशिव को चोट सहलाते देख धर्मेन्द्र को काफी अफ़सोस हुआ क्योंकि सदाशिव के चेहरे पर जहाँ उनका मुक्का पडा था वहां गुम्मर निकल आया था. पाजी सदाशिव से माफी मांगने लगे. आखिर सदशिव ने भी बात को जाने दिया .बाद में पता चला की पाजी ने उस दिन खूब चढ़ा रखी थी. सदाशिव के आड़े-टेढ़े dialogues को उन्होंने निजी तौर पर ले लिया और उनके मुक्के ने बेवजह अपना काम कर दिया .वैसे पाजी के साथ काम करने वाले को-स्टार जानते थे की वो बिना पीये शॉट नहीं देते हैं इसलिए वो ऐतिहात बरतते थे लेकिन सदाशिव अमरापुरकर को ये बात पता नहीं थी. शायद इस घटना के बाद उन्हें भी पता चल ही गया होगा की पाजी के सामने कितना और कैसे dialogues बोलना चाहिए.