नंदा विनायक दामोदर हिंदी सिनेमा की मासूम सूरतों में से एक थी. नंदा इतनी मासूम दिखती थी की कोई भी निर्माता उसे हीरोइन मानने को तैयार ही नहीं होता था. इसलिए उनके करियर की शुरुआत ही छोटी बहन के रोल से हुई. उन्हें ज्यादातर हीरोइन की छोटी बहन के रोल के लिए कास्ट किया जाता था. लेकिन धीरे-धीरे नंदा ने अपनी शानदार परफॉर्मेंस से इंडस्ट्री में जगह बना ली और फिल्म निर्माता उन्हें लीड हीरोइन के तौर पर कास्ट करने लगे. नंदा ने अपने करियर में ‘धुल का फूल’, ‘क़ानून’, ‘जब जब फूल खिले’ और ‘छलिया’ जैसी कई हिट फ़िल्में दी.
नंदा की पर्सनल लाइफ के बारे में बात करें तो ऐसा कहा जाता है कि वह डायरेक्टर मनमोहन देसाई से बहुत प्यार करती थीं. लेकिन उन्होंने इस बात का इजहार कभी मनमोहन देसाई से नहीं किया. इस बीच मनमोहन देसाई ने शादी कर ली तो नंदा ने जीवन भर अविवाहित रहने का ही फैसला ले लिया. लेकिन कुछ सालों बाद देसाई की पत्नी का निधन हो गया. इसके बाद 1992 में 53 साल की उम्र में नंदा ने मनमोहन देसाई से सगाई कर ली. लेकिन सगाई के दो साल बाद ही मनमोहन की मौत हो गई और नंदा एक बार फिर अकेली रह गई. आख़िरी बार नंदा 1995 में फिल्म ‘दिया और तूफ़ान’ में नज़र आई थी. 25 मार्च, 2014 को 75 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.